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हिन्दी दिवस प्रतियोगिता भाग 14( एक विधवा की पुकार ) लेखनी कहानी -01-Sep-2022

    शीर्षक :-  एक विधवा की पुकार

सफेद साडी़ में लिपटी  विधवा मनहूस कैसे होसकती है।
वह सारी दुनिया की नजर में  मनहूस कैसे हो सकती है।।
जो विधवा हर  दिन अपने बच्चौ को प्यार से पालती है।
उनके लिए ऊपर वाले भगवान से हमेशा दुआ मांगती है।।
समझ नही आता हम उसको क्यौ मनहूस  पुकारते है।
क्यौ उसको शुभ कार्यौ से दूर भगाकर उसे दुत्कारते हैं।।
बेटी के लिए वर ढूढ़ शादी का जोडा़ भी वह ही लाती है।
अखन्ड सुहाग का बर माँगे बेटी का ब्याह भी रचाती है।।
हम इन पुरानी परम्पराऔ में फस जीवन नरक बनाते है।
हम करन सके उसका गम कम पर उसे मनहूस बताते है।।


हिन्दी दिवस प्रतियोगिता हेतु रचना
नरेश शर्मा "पचौरी "

 

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5 Comments

बच्चों,,, क्यों,,, पुकारते हैं not है,,,, क्यों,,, कार्यों,,, परंपराओं,,, फंस,,, बनाते हैं not है,,, बताते हैं not है,,, आदि शब्द सही करें जी

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बहुत ही सुंदर सृजन और संदेश देती हुई रचना,,,,,

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Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 08:45 PM

Bahut khoob 💐👍

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